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बुरा मान जाएँगे

Writer's picture: Dr Mubarak khanDr Mubarak khan

Updated: Sep 13, 2021

*बुरा मान जाएँगे*


**बुरा मान जाएँगे*


*क्योंकि रास्तों की सोचता रहूँगा, मुबारक*

*तो मंज़िल बुरा मान जाएगी*

*वक्त को गिनता रहूँगा…*

*तो ज़िंदगी बुरा मान जाएगी*


*कौन किसी को राह दिखाएगा?*

*हरएक यहाँ अपने मर्ज़ी का मालिक़*

*अब सब को राह दिखाऊँगा….*

*तो ऊपरवाला बुरा मान जाएगा*


*कतरा कतरा बीत गयी ज़िंदगी*

*अनजान दुनिया में अंजान मुसाफ़िर*

*अब अंजाने को नाम दूँगा…,*

*तो जाने-पहचाने बुरा मान जाएँगे*


*फसी अदमरी ज़िंदगी, रिश्ते-नाते*

*प्यार-मोहब्बत, दर्द भरी राते*

*अब काली घनी रातों में, शमा बूजावूँगा *

*तो परवाना बुरा मान जाएगा*


*क्या जीना-मरना, क्या रिश्ते, क्या नाते*

*क्या दोस्त और क्या दुश्मनी की बातें*

*अब मै ये फिरसे समजाने लगा… *

*बेचारा कोविड की मेहनत बुरा मान जाएगी*


*मतलबी लोग, बेईमान दुनिया *

*बेबस ज़िंदगी, दर्दनाक मौत का साया*

*अब मौत को लाचार जीना सिखावूगा*

*बेचारी चलती साँसे बुरा मान जाएँगी*


- मुबारक *अंजाना*

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