आज अख़बार खरीदा तो मालूम हुआ ,,
कोई पहले ही खरीद चुका है उसको !
आज न्याय की भिक माँगी तो मालूम हुआ
कोई पहले ही खरीद चुका है उसको !
झूठ बोलो, लगातार बोलो, दबाके बोलो
सच लगने लगता है, कुछ दिन के बाद !!
अब सच को सच्चाई फिर से सिखायी, तो मालूम हुआ
कोई पहले ही खरीद चुका है उसको
ग़ुलामी की हमें कयी जन्मो से आदत है
निरंकुश सत्ता के सामने झुकने की पहले से आदत है !
अब डूबते जनतंत्र को किनारा दिखाया, तो मालूम हुआ
कोई पहले ही ख़रीद चुका है उसको
वक्त भी ऐसा अजीब आया है !!
कहा राजा ने, आज सूरज को मैंने रोखा ??
सब भक्त चमत्कार से पागल, बेहोश मुबारक !!
अब भक्तों की आँखो से पड़दा ऊटाना चाहा, तो मालूम हुआ
कोई पहले ही ख़रीद चुका है उसको
ज़रूरतें ही अब इतनी कम कर दी मैंने
क्या नौकरी, क्या महंगाई, क्या भूक और क्या भिक !!
किसे दोष दे, ना कोई रहनुमा, ना कोई सुननेवाला,
अब हताश होकर खुद की चिता को आग लगाना चाहा, तो मालूम हुआ
कोई पहले ही ख़रीद चुका है उसको !!
ग़ुलामी की आदत ही ऐसी
नस नस में समायीं मेरे !!
अब आज़ादी की सुबह किसी ने दिखायी तो पता चला,
कोई पहले ही ख़रीद चुका है उसको !!
🔥 🔥 🔥 🔥 🔥
मुबारक *अंजाना*
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